Sunday, June 21, 2020

किताब -एक साथी अलबेला

नहीं छोड़े मुझे अकेला
साथी है, वो मेरा अलबेला
ले जाये मुझे एक पल में रशिया
और दूजे पल में घूमू मैं पूरा एशिया

               नित नये सिखाता शब्द भंडार
               बढ़ने के देता मौके अपार
               कभी सोल्व करवाए मर्डर मिस्ट्री
               और कभी सुझाये इजिप्ट की हिस्ट्री

नहीं छोड़े मुझे अकेला
साथी है, वो मेरा अलबेला

     कभी  नानी की नादान गुडिया बन जाऊ
     तो कभी रानी लक्ष्मी के साहसी जीवन को जी जाऊँ

     तपती जून में जनवरी की ठंडक का अहसास पाऊँ
     ऊँचे पर्वतो की चोटियों से क्षण में रहस्मयी समुन्द्र तली के  मोती खोज लाऊँ

नहीं छोड़े मुझे अकेला
साथी है, वो मेरा अलबेला

      नहीं करना पड़ता इसे चार्ज
      पर इसकी कंपनी में रहता मैं फुल्ली रिचार्ज
      मेरी कल्पना शक्ति को दे नई  उड़ान
      आत्मविश्वास भर दे मुझ में  ये नन्हा बेजुबान
      नहीं छोड़े मुझे अकेला
      साथी है, वो मेरा अलबेला

सब बातों की एक बात, नहीं होता कभी मुझसे नाराज
हे ,मेरे प्रिय दोस्त किताब, मुझे तुझपे हैं नाज
नहीं छोड़े मुझे अकेला
साथी है, वो मेरा अलबेला

                           कृष्णा
                 रीडिंग डे को समर्पित –एक प्रयास

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